अगर आप PART TIME HOMEBASED WORK में INTERESTED है तो इस वेबसाइट के सबसे निचे दिए गए फॉर्म को जरुर FILL-UP कर दे|

यहां कीजिए बैंक, बीमा, शेयर और म्यूचुअल फंड की शिकायतें

बैंक हो बीमा कंपनी या कि म्यूचुअल फंड किसी भी शिकायतके लिए आपको बस एक साइट पर जाना है और अपनी बात वहां रखनी हैं।आगे का काम रेग्युलेटरी आथॉरिटी करेगी। इतना ही नहीं आप अपनी शिकायत को इंटिग्रेटेड ग्रीवांस मैनेजमेंट सिस्टम (IGMS) के सहारे ट्रैक भी कर सकते हैं।
बैंकिंग और मौद्रिक संस्थाओं पर नजर बनाए रखने के लिए IRDA और SEBI जैसी रेग्युलेटरी बॉडी ने सिर्फ शिकायतों को सुनती हैं बल्कि उन पर कार्रवाई करने के लिए संबंधित संस्था पर दबाव भी बनाती है। एक नजर ऐसी ही शिकायत निवारक- वेबसाइट्स पर, जहां एक क्लिक ही आपकी परेशानी के खत्म कर सकता है।

शेयर और म्यूचुअल फंड

सेबी ने जून 2011 में SCORES (सेबी कंप्लेंट रिड्रेसल सिस्टम ) की शुरुआत की। अगर आपकी कोई शिकायत सेबी के दायरे में आती है, जैसे म्यूचुअल फंड, इक्विटी शेयर, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट और ब्रोकर की तो इसकी शिकायत सीधे सेबी को SCORES के जरिए की जा सकती है।

www.sebi.gov.in या www.scores.gov.in पर जाकर अपनी बेसिक डिटेल्स भरें, कंप्लेंट दर्ज करें और अगर मांगा जाए तो जरूरी डॉक्युमेंट भी दें। अगर आप चाहें तो अपनी कंप्लेंट लेटर लिख कर भी सेबी तक भेज सकते हैं। बस आपका काम खत्म। इसके बाद रेग्युलेटर का काम शुरू होता है। वह आपकी परेशानी या शिकायत उस फर्म तक पहुंचाएगी जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। आपकी गुहार अनसुनी न रह जाए इसके लिए सेबी ने हर लिस्टेड कंपनियों, म्यूचुअल फंड और स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिया हुआ है कि वह अपने यहां एक ऐसे अधिकारी की नियुक्ति करें जो सिर्फ इस काम के लिए ही हो। जब सेबी को कोई कंप्लेंट मिलती है तो वह 7 दिनों के अंदर इसे संबंधित कंपनी या फर्म के उस अधिकारी के पास अलर्ट मेसेज की तरह भेजता है जो इस काम के लिए ही बनाया गया हो। हालांकि सेबी ने समस्या समाधान के लिए कोई टाइम लिमिट तो नहीं रखी लेकिन फिर भी अगले 7 दिनों के भीतर इस पर पहली प्रतिक्रिया देने की जिम्मेदारी उस अधिकारी की होती है। अमूमन 30 दिनों के भीतर शिकायत का समाधान करना होता है। अगर फर्म शिकायत पर ध्यान नहीं देती तो सेबी उसे 2-3 रिमाइंडर भेजती है। ऑनलाइन शिकायतों पर होनी वाली कार्रवाई की जानकारी फर्म ईमेल के जरिए कस्टमर और सेबी दोनों को ही भेजती है। अगर आप हल से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा सेबी के पास जा सकते हैं।

कंप्लेंट करते समय रखें ध्यान

-जब शिकायत दर्ज करें समस्या को सही जगह दर्ज करें। बात इश्योरेंस ही हो तो बैंकिग पर जाने का कोई फायदा नहीं है।

-अपनी शिकायत तो साफ शब्दों में सटीक तरीके से लिखें।

-अपनी पॉलिसी या समस्या से जुड़ी हर जानकारी को लिखें।

-हर वह डॉक्युमेंट तैयार रखें जिसकी समय पर जरूरत पड़ने वाली हो। इसकी आपकी समस्या का समाधान जल्दी होगा।

-अपनी शिकायत के साथ तथ्यों को प्रूफ करने वाले डॉक्युमेंट जरूर अटैच करें।

-अपना कंप्लेंट या रेफरेंस नंबर जरूर नोट कर लें और जरूरत पड़ने पर बताएं।

इंश्योरेंस

IRDA (इंश्योरेंस रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने 2011 में IGMS का गठन किया। www.igms.irda.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत तो कर ही सकते हैं साथ ही 155255 पर कॉल भी कर सकते हैं। IGMS एक सेंट्रल सिस्टम की तरह काम करता है और इश्योरेंस और नॉन इश्योरेंस फर्म्स पर नजर रखने का काम करता है।

आप इस सिस्टम पर जाकर अपनी शिकायत को ईमेल, टेलिफोन या ऑनलाइन कैसे भी कर सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनी इस शिकायत को अपने ग्रीवांस मैनेजमेट सिस्टम में दर्ज कर लेती है। बीमा नियामक प्राधिकरण के नियमों के अनुसार हर बीमा कंपनी को एक ग्रीवांस सेल बनाना जरूरी है। जैसे ही आपकी कंप्लेंट इस सिस्टम में दर्ज हो जाएगी इरडा की पैनी नजर इस पर रहेगी। बीमा कंपनियों को समाधान के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। अगर 15 दिनों के अंदर समाधान नहीं होता है तो सिस्टम इरडा को लाल झंडी दिखा देता है। वह फर्म से देरी का कारण जानती है और समाधान के लिए हिदायत भी दे सकता है। हालांकि इरडा बीमा कंपनी से सीधे शिकायत को बढ़ावा देती है लेकिन अगर शिकायत पर जरूरी कार्रवाई न हो तो वह सख्त कदम भी ले सकती है।

बैंकिंग सर्विस

भारत में वैसे तो पूरे बैंकिग सेक्टर को रेग्युलेट करने के लिए इरडा या सेबी जैसी कोई संस्था नहीं है। रिड्रेसल का कुछ मैकेनिजम पब्लिक सेक्टर बैंकिंग में तो है लेकिन प्राइवेट सेक्टर बैंकिंग पर इसकी पकड़ ढीली है। पब्लिक सेक्टर बैंकिंग की देख रेख मिनिस्ट्री ऑफ फाइनैंस करती है और यह ही इसके रिड्रेसल मैकेनिजम को भी देखती है। मिनिस्ट्री ऑफ फाइनैंस ने पिछले साल एक ऑनलाइन रिड्रेसल सिस्टम बनाया और गाइडलाइंस को SPGRS (स्टैंडेराइज्ड पब्लिक ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम) पर में भी इसे शामिल करवाया।

कैसे करें शिकायत

आप अपनी शिकायत के लिए संबंधित पब्लिक सेक्टर की बैंक की साइट पर जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। SPGRS आपकी शिकायत को आगे पहुंचाने का काम करता है। बैंक से यह उम्मीद की जाती है कि वह समस्या का समाधान 21 दिनों में कर देगी हालांकि ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। अभी इस सिस्टम में सुधार की काफी गुंजाइश है और प्राइवेट बैंकों को भी रेग्युलेशन में लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। फिलहाल बैंकिंग सेवाओं में कमी पर सुनवाई करने वाली सबसे बड़ी बॉडी बैंकिंग ओम्बुड्समैन ही है। ओम्बुड्समैन के पास जाने से पहले अपने बैंक से संपर्क करें और वहां कार्रवाई न होने पर उसके पास जाएं।

दिल्ली एरिया में ओम्बुड्समैन का पता है:

रश्मि फौजदार
C/o रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
संसद मार्ग
नई दिल्ली 110001
टेलिफोन नंबर- (011) 23730632/23730633/23766130/23766131

-------------------------------

-
Mr. Abhishek
www.vic2job.blogspot.com
My facebook link : www.facebook.com/abhi612
My Twitter link : www.twitter.com/vic2dataentry
My Youtube videos : www.youtube.com/user/vic2dataentry 

No comments:

Post a Comment